तीन फ़ीट गली
जोड़े ऊँचे भवन जो, पूरब उत्तर होय।
बीच हो प्लाट रावरा, भर-भर आँसू रोय ।।
भर-भर आँसू रोय, चढ़ जाय कर्जा भारी।
हवा भी रुक जाय, चलती रहे बीमारी ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, तीन फीट गली छोड़े।
समाप्त होय प्रभाव, फिर आप मकान जोड़े।
शब्दार्थ: : रावरा = आपका
भावार्थ:
पूर्व और उत्तर दिशा में ऊँचे-ऊँचे बहुमंजिला भवन बने हों और उन्हें छूता हुआ यदि आपका प्लाट हो, तो वहाँ रहने से इतनी परेशानियाँ आती हैं कि जीवन भर आँसू बहते रहते हैं। प्रातः काल शुद्ध हवा, रोशनी के अवरुद्ध हो जाने से घर में कई प्रकार की बीमारियाँ आ जाती हैं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कितब आप अपने व उनके बीच में कम से कम फ़ीट इंच की गली छोड कर बाउन्ड्री बनाते हुए शेष निर्माण-कार्य वास्तु अनुसार पूर्ण कराएं। तीन फीट न्यूनतम की गली छोड़ देने से उन ऊँची इमारतों का प्रभाव समाप्त हो जाएगा।
वास्तुशास्त्री: अमृत लाल चंगेरिया
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