ठण्डी दुकान
सामान जब बिके नहीं, ठण्डी चले दुकान।
दिमाग सदा गरम रहे, उल्टी चले जुबान ।।
उल्टी चले जुबान, बिन बात होवे झगड़ा।
माल लेने आवे, सब मोल लेवे झगड़ा।।
कह ‘वाणी’ कविराज, वायु कोण रख सामान।
नहीं रहे शाम तक, बिक जावे सब सामान।
शब्दार्थ: वायु कोण = भूखण्ड का उत्तर-पश्चिम भाग
भावार्थ:
दुकान की ग्राहकी ठण्डी चलने पर दिमाग स्वतः गरम रहने लग जाता है। आप जानते हैं किगरम दिमाग में तो सब जुबानें भी उल्टी ही चलती हैं। जो-जो भी ग्राहक सामान लेने आते हैं वे झगड़ा मोल लेकर वाया हास्पिटल होते हुए सीधे घर पहुँचते हैं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि व्यर्थ के झगड़े बन्दहो सकते हैं, ठण्डी दुकान फिर से चलने लगेगी। आप ऐसा करें कि जो सामग्री नहीं बिकती हो उसे दुकान के वायु कोण में रखें, जिससे वह अतिशीघ्र बिकने लगेगी।
वास्तुशास्त्री: अमृत लाल चंगेरिया
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