सुधारो भैया जीना
जीना जब उल्टा बने, बने ईशान कोण ।
बिगड़े सारे काम वे, साथी होवे मौन ।।
साथी होवे मौन, रहे वर्षों तक टेंशन ।
ऐसा टेंशन होय, लेय बेचारा पेंशन ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, वहाँ मुश्किल है जीना।
बीते दिन फिर आय, सुधारो भैया जीना ।।
ईशान कोण में यदि जीना बन जाता है तो कई सारे कार्य बिगड़ जाते हैं। साथियों में व समाज में सर्वत्र शत्रु भाव बढ़ता है और वे अन्त में मौन धारण कर लेते हैं। कई वर्षों तक दिमाग में ऐसा भारी टेंशन रहता है कि वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति तक ले लेता है।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में जहाँ जीना ही मुश्किल हो जाता है तब भी आप घबराएं नहीं, विश्वास रखें मात्र जीने की स्थिति को सुधारने से ही बीते हुए दिन लौट कर जीवन को पुनरू आनन्दमय बना सकते हैं।
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