शेरमुखी भूमि
शेरमुखी जब प्लाट हो, हो पश्चिम का रोड़ ।
बढ़े खूब बिजनिस वहाँ, आवे ग्राहक दौड़ ।
आवे ग्राहक दौड़, भरी जेब हाथ थैला ।
जेब होवे खाली, आधा ले जाय थैला ॥
कह 'वाणी' कविराज, सदा रहोगे तुम सुखी ।
करे उधार निहाल, भूमि ले लो शेरमुखी ॥
शब्दार्थ: बिजनिस = व्यापार, निहाल = बहुत लाभ होना
भावार्थ:
पश्चिम दिशा वाले रोड़ में यदि शेर मुखी प्लाट है तो वहाँ व्यापार बहुत अच्छा चलता है । भरी हुई जेबें और हाथों में खाली थैला लिए हुए कई ग्राहक दौड़ते हुए आते हैं, आश्चर्य आजकल दुकानों पर हर बार जेबें पूरी खाली हो जाने पर भी मन रूपी थैला आधा ही भर पाता है । इस प्रकार शनैरू शनैरू आपके भवन की मंजिलें निरन्तर बढ़ती जाएंगी ।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि जो-जो भी ग्राहकगण आपकी दुकान पर उधारी के खाते खुलवाने के इच्छुक होए, उनके खाते शीघ्र खोलें, यह उधारी ही आपको निहाल करेगी । इस प्रकार व्यावसायिक उन्नति हेतु शेरमुखी भूखण्ड श्रेष्ठ होता है ।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया
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