सफलता के गेट
तीन गेट की सीध में, कभी न बैठो बीच।
ज्ञान खजाना आपका, ले जावे सब खींच ।।
ले जावे सब खींच, फर्स्ट क्लास फर्स्ट आवे।
मार्कशीट फेल की ,रोता हुआ घर लावे ।।
रख दक्षिण में पीठ, सफलता के तीन गेट।।
कह ‘वाणी’ कविराज, ईशान कोण में बैठ।
शब्दार्थ: खजाना = भण्डार, मार्कशीट = अंक तालिका
भावार्थ:
भवन में जहाँ कहीं भी तीन या इससे अधिक दरवाजे एक सीध में हों, उनके बीच में कभी नहीं बैठना चाहिए। इस प्रकार बैठते रहने से ज्ञान-खजाना क्षीण होता जाता है। जो छात्र प्रतिवर्ष प्रथम श्रेणी से पास हो कर कक्षा में अव्वल आता रहा, वह भी फेल की मार्कशीट ले, घर आँसू बहाता हुआ आता है।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि ईशान कोण में बैठ दक्षिण दिशा की ओर पीठ करके प्रभु-स्मरण के साथ-साथ यदि अध्ययन कार्य भी किया जावे तो यह श्रेष्ठ फलदायक सिद्ध होता है और भावी सफलताओं के एक-दो नहीं तीन-तीन द्वार एक साथ खुल जाते हैं।
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