पूजा-घर
पूजा-घर का स्थान है, ठीक कोण ईशान ।
भाग जगाए आप के, बड़े-बड़े भगवान ।।
बड़े-बड़े भगवान, सब आवे आपके घर ।
यदि किराए का घर, बना देय आपका घर ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, चयन किया स्थान दूजा।
रूठे देवी-देव, होय बजार में पूजा ।।
शब्दार्थ: : दूजा = दूसरा, रूठे = अप्रसन्न होना
भावार्थ: भवन में पूजा का सर्वश्रेष्ठ स्थान ईशान कोण ही होता है। वहाँ नियमित ध्यान करने से बड़े-बड़े भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर आपके घर आते हैं। बाई चान्स आपका किराए का घर है, तो दयालु प्रभुशीघ्र ही आपका स्वयं का घर बना देंगे।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि यदि भूलवश आपने पूजन के लिए अन्य स्थानचुन लिया तोतत्काल प्रभाव से आपके देवी-देवता अप्रसन्न हो सकते हैं। यदि उनमें से कोई आडू देवता निकल गया तो वह बाजार में आपकी पूजा भी करवा देगा। घरों में देवी-देवताओं को उचित स्थान पर स्थापित करने के पश्चात् ही पूजा-अर्चना-हवन इत्यादि कराने चाहिए। इसके अतिरिक्त उनदेवी-देवताओं द्वारा दिए गएमार्ग-दर्शन को भी काफीमहत्त्व देना चाहिए।
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