नोट छपने की फैक्ट्री
फैक्ट्री लगाय तुम कभी, पहले देख ढलान ।
चैड़े-चैड़े रोड़ हो, नदी सरोवर खान ।।
नदी सरोवर खान, है जहाँ कोण ईशान ।
अग्नि में भट्टी हो, तो पाय सवाया मान ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, चलेगी ऐसी फैक्ट्री।
सब कहने लग जाय, नोट छपने की फैक्ट्री।।
शब्दार्थ: फैक्ट्री = उद्योग, खान = खदान, अग्नि = अग्नि कोण
भावार्थ:
कभी जीवन में फैक्ट्री लगाने का सुअवसर आए तो सर्वप्रथम तुम भूमि के ढलान का परीक्षणकरो वह ईशान की ओर है या नहीं। चैड़े-चैड़े रोड़ हों और पूर्व-उत्तर की ओर नदी-नाले-सरोवर-खदानें हों तोये पूर्ण सफलता के पूर्वसूचक हैं। बायलर, इंजिन, पावर-रूम भट्टी आदि अग्नि कोण में लगाने से सवाया मान बढ़ता है।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि फैक्ट्री इतना मुनाफा देगी कि सभी कहने लग जाएंगे कि अरेवाह आपके तो नोट छपने की फैक्ट्री लग गई।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें