Vastu Shastra : Mukhya Dwar / Main Gate (SK-39)


मेन गेट मेन गेट ऐसा लगे, निकट लगे ना पेड़। जिसकी छाया रह वहाँ, उसका करदो ढेर।। उसका करदो ढेर, वापस लगवा कुछ दूर। फिर हरियाली होय, सब बाधा होवे दूर ।। कह ‘वाणी’ कविराज, बनेगा तू नगर-सेठ। उधार लेंगे सेठ, सही करले मेन गेट ।।

शब्दार्थ: मेन गेट = मुख्य द्वार, ढेर करना = गिरा देना
भावार्थ:
श्रेष्ठ मुख्य द्वार वह होता है जिस पर किसी पेड़,टेलीफोन, बिजली का पोल दरवाजा या अन्य किसी की भी परछाई न पड़े।यदि किसी पेड़ की परछाई गिरती है तो उसे वहां से काट कर कुछ दूरी पर पुनरू लगवा देवें। इस प्रकार हरियाली भी और द्वार-वेध की बाधा भी दूर हो जावेगी। यदि आप एक पेड़ काटते हैं तो चार नए लगाएं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि द्वार-वेध दूर होते ही सम्पन्नता ऐसी बढ़ेगी कि बड़े-बड़े सेठ तुम से धन उधार ले जावेंगे।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया



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