फूलदार पौधे
पौधे घर में ना लगा, जो हो काँटेदार।
नन्हें-मुन्हें बाल के, करें हृदय पर वार ।
करें हृदय पर वार, एक शूर शूल हजार।
अभिमन्यु के समान, किसी दिन देय वे मार।।
कह ‘वाणी’ कविराज, उखाड़ो ऐसे पौधे।
नए आज के आज, लगा फूलदार पौधे।।
शब्दार्थ:
शूर = बहादुर बालक,शूल काँटे, अभिमन्यु = अर्जुन-सुभद्रा का पुत्र जिसे धोखे से मारा गया था
भावार्थ:
काँटेदार पौधे यथा गुलाब, कैक्टस इत्यादि आवासीय मकानों में नहीं लगाएं। इन असंख्य काँटों से नन्हें मन्हें बालकों के हृदय-पीडा होती है। धीरे-धीरे इन काँटों का अवश्य कुप्रभाव बढ़ता रहता है। ऐसी स्थिति भी आ सकती है, कि महाभारत रूपी इस जीवन संघर्ष में ये सहस्त्रों शूल,छल कपट से अभिमन्यु की भाँति आपके राजकुमार की हत्या करदें।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि ऐसे समस्त काँटेदार पौधों को तुरन्त उखाड़ कर फेंकदो और आज के आज आपउन स्थानों पर फूलदार पौधे लगा कर घर की रौनक बढ़ाते हुए मासूम बच्चों के कोमल हृदय को फूलों का रक्षा कवच पहनाओ, समय-समय पर देवगण अवश्य उनकी रक्षा करेंगे।
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