देखा नीम वैद्य भगा
तुलसी ही तुलसी लगा, सुनले तुलसीराम ।
कीड़े मारे पेट के, पल भर में आराम ।।
पल भर में आराम, रहता प्रसन्न तन-मन ।
आम, बेल, अंगूर, जयंती केशर चंदन ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, नीम देखा वैद्य भगा।
शोक मिटाय अशोक, तू तुरन्त तुलसी लगा।।
शब्दार्थ:
कष्ट, = अशोक = एक पेड़ का नाम जिसके आम जैसे पत्ते आते हैं
भावार्थ:
हे तुलसीराम ! सुनले तुम्हें आवासीय भवनों में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए। इसमें अनेक औषधीय गुण होते हैं। यह पेट के कीड़े मार कर पल भर में आराम कर देता है। एक बार कीड़े मर जाने के बाद जब तक वापस कीड़े नहीं पड़ें तब तक आपका मन सदैव प्रफुल्लित रहेगा। आवासीय क्षेत्रों में आम, बेल, अंगर, केशर, जयंती, चंदन आदि पौधे शुभफलदायक माने गए हैं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि सर्व रोग निवारक नीम को देखते ही वैद्यराज भाग गए, सोचा अरे! इस घर में तो फीस का एक पैसा भी मिलने की उम्मीद नहीं है। सभी प्रकार के शोक दूर करने के लिए घरों में अशोक का वृक्ष अवश्य लगाएं किन्तु हे तुलसीराम ! तुलसी का पौधा तो तुरन्त लगाओ।
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