दक्षिण द्वार रखो बड़ा
रखो द्वार चारों दिशा, कर-कर सोच विचार।
दक्षिण द्वार रखो बड़ा, बढ़े दिनों-दिन व्यापार ।।
बढ़े दिनों-दिन व्यापार, माल सात समुद्र पार।
देख दौड़ा-दौड़ा, धन आय आपके द्वार ।
कह ‘वाणी’ कविराज, बनती नई भाग्य-रेख ।
सात पीढ़ियाँ खाय, द्वार रखो मुहूर्त देख ।।
शब्दार्थ : मुहूर्त = शुभ समय
भावार्थ:
यदि मुनासिब हो तो चारों दिशाओं में उचित स्थान पर चार द्वार रखने चाहिए, जिनमें दक्षिण दिशा वाला द्वार सबसे बड़ा होने पर व्यापार में दिनों-दिन वृद्धि होती है। सात समुद्रपारव्यापार पहुंच जावेगा। दूर-दूर से धनदौड़ता हॉफता हुआ आकर आपकी ही तिजोरी में स्थाई विश्रामलेगा।
वास्तुशास्त्री : अमृत लाल चंगेरिया
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