छोटी उम्र मकान
चले काम रविवार को, तो अग्नि करे वार।
मंगल गड़बड़ यूँ करे, कर देवे बीमार ।।
कर देवे बीमार, लेय धन शनि महाराज ।
निकाल दे सब तेल, तेल चढ़ा शनि पर आज ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, अटक-अटक श्वाँस चले।
छोटी उम्र मकान, मुश्किलों से काम चले ।।
शब्दार्थ:
गड़बड़ = बाधा डालना, अटक-अटक = रूक-रूक कर
भावार्थ:
रविवार को निर्माण कार्य प्रारंभ करने से अग्नि-भय बना रहता है। मंगलवार को प्रारंभ करने से बीमारियाँ स्वतरू बढ़ती हैं। शनिवार को प्रारंभ करने वालों को तो शनि महाराज पूरा तेल निकाल कर ही छोड़ते हैं। प्रत्येक शनिवार को तेल चढ़ाने जाना पड़ता है, अर्थात् पहले अपना फिर घर का तेल निकलता है। इस अशुभ निर्माण से श्वाँसें भी इस प्रकार अटक-अटक कर चलती हैं,मानो अंतिम श्वाँसें चल रही हों।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि उस मकान की उम्र भी छोटी होती है एवं निर्माण कार्य भी रूक-रुक कर चलता हुआ बड़ी कठिनाइयों से पूर्ण होता है।
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