चबूतरा
चबूतरा है भूल से, जहाँ कोण ईशान ।
आय आपकी सब घटे, है संकट में प्राण ।।
है संकट में प्राण, करो बदलाव तत्काल ।
पैसा लेय उधार, लेय चुनाई का माल।।
कह ‘वाणी’ कविराज, पल में टले सबखतरा।
ईशान का गिराय, रचोे नैऋत चबूतरा ।।
शब्दार्थ: तत्काल = शीघ्रातिशीघ्र, टल = दूर होना
भावार्थ:
भवन के ईशान कोण में चबूतरा बनजाने से आय घटने लगती है और प्राणों पर संकट छा जाता है। इससे उबरने के लिए सर्वप्रथम आपको ऐसा करना चाहिए कि यदि धन नहीं हो तो उधार लेकर निर्माण सामग्री खरीदें।
‘ वाणी’ कविराज कहते हैं कि सब खतरेपल भर में ही टल सकते हैं। आपको इतना-सा कार्य करना है कि ईशान का चबूतरा गिरवाकर नैऋत्य कोण में बनवावें। सारी खुशियाँ लौट आएंगी।
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