भारी सामान
सामान आय आपका, भारी भरकम होय।
इधर-उधर जो रख दिया, रोय-रोय तू रोय।।
रोय-रोय तू रोय, तब दिन-दिन घटता मान।
घर का नैऋत कोण, रख तू भारी सामान ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, यूँ जीवन बढ़ता जाय।
लाख-लाख के दौड़, घरों में सामान आय ।।
शब्दार्थ:
: नैऋत = भवन का पश्चिम-दक्षिण भाग
भावार्थ:
भवन में प्रत्येक स्थान कामहत्व क्या है? उसका श्रेष्ठतम् उपयोग किस प्रकार हो सकता है। यह सभी हमारे ऋषि-मुनियों ने सुनिश्चित कर रखा है। सर्वाधिक वजनी, भारीभरकम सामान नैऋत्य कोण वाले कमरों में रखना चाहिए। उस स्थान को छोड़ कर अन्यत्र भारी सामान रखने से मानसिक परेशानियाँ हो सकती हैं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि भारी, भरकम सामान नैऋत कोण में रखने से व्यवसाय में वृद्धि होती है। भूखण्ड के अपने प्राकृतिक संतुलन में आने से सभी व्यवस्थाएँ सुचारू रूप से चलने लगती हैं। उन घरों की ओर महंगे-महंगे कीमती सामान, दौड़-दौड़ कर आते हुए घर व फैक्ट्री की शोभा बढ़ाते हैं।
वास्तुशास्त्री: अमृत लाल चंगेरिया
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें