बढ़े भुजा ईशान की
बढ़े भुजा ईशान की, बढ़े आपका मान।
वंश बढ़े यह धन बढ़े, दिन-दिन बढ़ता जान।।
दिन-दिन बढ़ता जान, तब आय जान में जान।
अन्य भुजा बढ़ जाय, जान संकटों में जान ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, दुखे सिर, पाँव यह भुजा।
भुजा उठा के रोक, बढ़े न कभी अन्य भुजा ।।।
शब्दार्थ:
जान में जान आना = नया उत्साह बढ़ना
भावार्थ:
यदि किसी आवासीय भूखण्ड के ईशान कोण में वृद्धि होती है तो यह अतिशुभ है। इससे आपका मान दिनों-दिन बढ़ेगा।जीवन में नईजीवन-शक्ति का संचार होगा। इसके अतिरिक्त अन्य कोई भी भुजा बढ़ती है तो वह हर दृष्टि से हानिकारक है। वहाँ कई सारी परेशानियाँ आती हैं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि युवावस्था में भी कभी सिर दुःखे तो कभी हाथ-पाँव। इस प्रकार विभिन्न व्याधियों के तापसे जीवन-पुष्पशीघ्र ही मुरझा जाता है। आपको चाहिए कि ईशान के अतिरिक्त कोई भी अन्य भुजा भूखण्ड की बढ़ती है तो उसको भुजा उठा कर रोकने का पूरा प्रयास करें।
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