अच्छे-अच्छे कोण
अच्छे-अच्छे कोण है, चार छह और आठ ।
भाग दौड़ सब वे करे, करे आपके ठाठ ।।
करे आपके ठाठ, पुत्र प्रतिवर्ष पावे ।
हो अच्छा व्यापार, मुनाफा अच्छा लावे।।
कह ‘वाणी’ कविराज, होय बच्चे के बच्चे।
करे आपका नाम, होय सब अच्छे-अच्छे।।
शब्दार्थ:
ठाठ = आनन्द, मुनाफा = लाभ
भावार्थ:
: निर्माण कार्य में सदैव यह ध्यान रखना चाहिए कि चार-छः और अष्ट सम संख्या वाले कोण ही श्रेष्ठ होते हैं। उस भूमि व भवन का सौभाग्य दौड़-दौड़ कर सभी कार्य करता है और नाम आपका होता है। वंश-वृद्धि ऐसी बढ़ती है, प्रतिवर्ष पुत्र-प्राप्ति होती है। व्यापार में भी अच्छा लाभ होता है।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि बच्चे एवं बच्चे के बच्चे भी आपके कुल का गौरव बढ़ाएंगे। समषट्भुज व समअष्ट भुज सदैव श्रेष्ठ सिद्ध होते हैं एवं तीन, पांच, सात विषम भुजाओं वाली भूमि अशुभ होती है।
वास्तुशास्त्री: अमृत लाल चंगेरिया
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